SUVICHAR->4

हे अर्जुन !
तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो, तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया,
तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया, तुमने जो लिया यहीं से लिया,
जो दिया यहीं पर दिया,
जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा।
क्योंकि परिवर्तन ही संसार का नियम है।
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